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भगवानजी (छोटे दादाजी) के पूजन मंत्र

बड़ी आरती में श्री भगवानजी के पूजन के मंत्र


ॐ नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्त्र मूर्तये । 
सहस्त्र पादाक्षिशिरोर्ब्रार्हवै॥

सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते । 
सहस्त्र कोटी युग धारिणे नमः ॥ १॥

नमः कमलनाभाय नमस्ते जल शायिनें।
नमस्ते केशवानन्तं वासुदेव नमोस्तुते ॥

वासनात् वासुदेवस्य वासितं भुवन त्र्यं ॥
सर्वभूत निवासोऽसि वासुदेव नमोस्तुते ।।२।।

नमो ब्रह्मण्यदेवाय गौ ब्राह्मण हितायच।
जगद्विताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ॥

आकाशात्पतितं तोयं यथा गच्छति सागरम्।
सर्वदेव नमस्कारं केशवं प्रति गच्छति ॥ ३॥

कस्तुरी तिलकं ललाट पटले वक्षस्थले कौस्तुभं ।।
नासाग्रे वर मौकिकं कर तले वेणु करे कंकणं ॥

सर्वांगे हरि चंदनं सुललीतं कंठे च मुक्तावली । 
गोपस्त्री परिवेष्टितो विजयते श्री गोपाल चूड़ामणि ।।४।।

फुल्लेन्दीवर कान्ति मिन्दु वदनं वर्हावतंसप्रियं ।
श्रीवत्साङ्क मुदार कौस्तुभ धरं पीताम्बरं सुन्दरं ॥

गोपीनां नयनोत्पलार्चित तनुं गोगोप संघावृतं ।
गोविदं कलवेणु वादन परं दिव्यांग भूषं भजे ॥५॥

त्वमेव माता च पिता त्वमेव 
बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्व मम् देव देव

पश्चात् कलश का और निशान का पूजन करके आरती प्रारंभ होती हैं।

                            आरती

             ॥ श्री गौरीशंकर महाराजजी की जय ॥
                ॥ श्री धुनीवाले दादाजी की जय ॥ 
             ॥ श्री हरिहर भोले भगवानजी की जय ॥
                    ॥ श्री मातु नर्मदे हर हर हर ॥

   कर्पूर गौरं करूणावतारं। संसार सारं भुजगेन्द्र हारं
   सदा वसंतं हृदयार विन्दे । भवम् भवानी सहितं नमामी
   मंदार माला कुलीताय कायै। कपाल माला शशि शेखराय
   दिव्याम्बरायैच दिगंबराय नमः शिवायैच नमः शिवाय
     
              ॥ श्री गौरीशंकर महाराजजी की जय ।।
                 ॥ श्री धुनीवाले दादाजी की जय ॥
             ॥ श्री हरिहर भोले भगवानजी की जय ॥ 
                  ॥ श्री मातु नर्मदे हर हर-हर ॥
                      बोल सच्चे दरबार की जय
                      बोल अटल छत्र की जय
                    नमः पार्वती पते हर हर महादेव

पश्चात् श्री दादाजी के नाम का उच्चारण थोड़ी समय तक करके आरती वापस बड़े मंदिर में आकर समाप्त होती है।

              ॥ श्री गौरीशंकर महाराजजी की जय ॥
                  ॥ श्री धूनीवाले दादाजी की जय ॥
              ॥ श्री हरिहर मोले भगवानजी की जय ॥
                     श्री मातु नर्मदे हर हर हर ॥

पश्चात् थोड़ी देर तक "रक्षा करो हमारी दादाजी धूनीवाले" कहा जाता है व आरती जय बोलते हुये समाप्त होती है।


।। जय श्री दादाजी की ।।


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