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Shri Dadaji Bhajan

                           भजन 1

               तर्ज़-- तू प्यार का सागर है

घनघोर घटाओं में मदमस्त हवाओं में 

          मेरे दादा तुम्हें देखूं


१) गंगा का किनारा हो और निर्मल धारा हो।
     रेवा में नहाते हुए रेवा में नहाते हुए
     मेरे दादा तुम्हें देखूं

   घनघोर घटाओ में.........

२) नीला नीला अंबर हो और हरी हरी धरती हो 
     नीला नीला अंबर हो और हरी हरी धरती हो 
     फूलों के बागों में, फूलों के बागों में
     मेरे दादा तुम्हें देखूं 

   घनघोर घटाओ में..........

३) दादा का आंगन हो, भक्तों का डेरा हो
     दादा का आंगन हो, भक्तों का डेरा हो 
     सत्संग में गाते हुए सत्संग में गाते हुए 
     मेरे दादा तुम्हें देखूं

    घनघोर घटाओ में..........

४) दिनों के दाता हो, अनाथों के नाथा हो
     दिनों के दाता हो, अनाथों के नाथा हो
    भव पार लगाते हुए मेरे दादा तुम्हें देखूं 
    घनघोर घटाओ में,मदमस्त हवाओं में

   मेरे दादा तुम्हे देखूं

    

            


              

     

      

     

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