(श्री दादाजी के स्नान व आरती की विशेष जानकारी)
१. श्री दादाजी महाराज और भगवानजी का प्रातः काल ४ बजे और दोपहर ४ बजे श्री गंगाजी और श्री नर्मदाजी के जल से स्नान करने के बाद नैवेद्य अर्पण किया जाता है।
२. प्रथम श्री दादाजी महाराजजी का पूजन, आरती और श्री धूनीमाता का पूजन, आरती पश्चात् श्री भगवानजी (छोटे दादाजी) का पूजन और आरती होती है।
३. मंगल आरती प्रातःकाल ५ बजे, बड़ी आरती सुबह ७.३० बजे सायंकाल छोटी आरती ५ बजे तथा रात्रि को ७.३० बजे बड़ी आरती होती है ।
४. प्रातःकाल ४ बजे और दोपहर को ४ बजे बड़े दादाजी और छोटे दादाजी का स्नान होता है इसके पश्चात् नैवेद्य अर्पण होने के बाद आरती होती है।
५. रात्रि को बड़ी आरती के पश्चात् "श्री नर्मदाष्टक"और"श्री रुद्राष्टक" कहा जाता है।
श्री धूनीवाले दादाजी महाराजजी की पूजन विधि
अक्षता - हरिः ॐ वस्त्रोपवस्त्रार्थे, यज्ञोपवीतार्थे, आसनार्थे अक्षतां समर्पयामि, श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्यो नमो नमः
चंदन - ॐ गंधद्वारा गुराधर्षां नित्य पुष्टां करिषिणीम्, ईश्वरीं सर्वभूतानाम् तामिहोपये श्रियम् श्रीखंडं चंदनं दिव्यं गंधाढ्यं सुमनोहरम् विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम् ॐ ब्रह्मयज्ञानं प्रथमं पुरूस्ता द्विषिमत सुरुचोवेन आव: सबुघ्न्या उपमा अस्य विष्टाः सतश्चयो निम सतश्च विव:
कुंकुम - कुंकुमं कामना दिव्यं कामना काम संभव: अपये भूषणार्थाय कुंकुमं प्रतिगृह्यताम् तं यज्ञंम्बर्हिषि प्रौक्षम्पुरुषजातमग्रतः तेन देवाs अयजन्तसाध्या ऋषयश्चये
गुलाल - अबीरचं गुलालं च चोवा चंदन मेव च सिंदुरेण समानीतं सौभाग्यं प्रतिगृह्यताम्
अक्षता - अक्षता स्तंडुला शुभ्राः कुंकुमाक्ता सुशोभिता मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर श्रीसद्गुरू चरण कमलेभ्यो नमो नमः
बिल्व पत्र -
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिमम्पुष्टी वर्धनम् उर्वाऋकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षि यमामृतात् त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिआयुधं त्रिजन्म पापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम् त्रिशाखैर्बिल्व पत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः तव पूजा करिष्यामि अर्पयामि सदाशिव दर्शनं बिल्व पत्रश्च स्पर्शनं पाप नाशनं अघोर पापसंहारं बिल्व पत्रं शिवार्पणम् हरि: ॐ नमो बिल्मिने च कवचिने च नमो धर्मिणे च वरुथिणे च नमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमो दुंदुभ्याय चा हनन्न्याय च नमः ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिंम्पुष्टी वर्धनम् उर्वाऋकमिव बंधनान्नमृत्योर्मुक्षि यमामृतात्
नोट :- बिल्व पत्र अधिक होने पर श्री शिवमानस पूजा शिव पंचाक्षर स्त्रोत व श्री शिव रुद्राष्टक से बिल्व पत्र चढ़ाये जाते हैं।
पुष्प -
मंदारमाला कुलिताल कायै। कपाल माला शशि शेखराय दिव्याम्बरायैच दिगंबराय नमः शिवायैच नमः शिवाय माल्यादीनी सुगन्धीनीमालित्यादिनिवै प्रभो मयाहृतानिपूजार्थं पुष्पाणिप्रतिगृहयताम्, सेवन्तिका बकुल चंपक पाटलाब्जैः पुन्नागजाति करवीर रसाल पुष्पैः, बिल्व प्रवाल तुलसी दल मालातीभि: त्स्वां पूजयामि जगदीश्वर मे प्रसीद, ऋतु कालोध्दव पुष्पाणि समर्पयामि।
श्री सद्गुरूचरण कमलेभ्यो नमोनमः
ॐ प्राणाय स्वाहा ॐ अपानाय स्वाहा ॐ व्यानाय स्वाहा ॐ उदानाय स्वाहाॐ समानाय स्वाहा ॐ ब्रह्मणेय नमः
शुद्धाचमनयिम मुखवासार्थे तांबूल पूगीफलं
तांबूल
याः फलिणीर्या अफला अपुष्पा याश्च पुष्पीणी:
बृहस्पति प्रसूतास्तानो मुंचत्वदृहस: हिरण्यगर्भः समवर्तताग्रे भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् सदाधार पृथिविद्या मुते मांकस्मै देवायह विधेम् इदं फलं मयादेव स्तापितं पुरूतस्तव, तनमे सफला वाप्ति भव जन्मनी जन्मनी पूगीफलं महद्दीव्यं नागवली दलैर्युतं, कर्पूरला समायुक्तं तांबुलं प्रतिगृह्यताम् मुखवासार्थे तांबूलं पूगीफलं समर्पयामि, प्रार्थनापूर्वक नमस्कारम् समर्पयामि श्री सद्गुरु चरण कमलेभ्योनमो नमः
श्री नर्मदा जी (श्री दादाजी) की आरती
बड़े मंदिर में
कर्पूर गौरं करुणावतारं । संसार सारं भुजगेन्द्र हारं सदा वसंतम् हृदयार विन्दे । भवम् भवानी सहितं नमामी मंदार माला कुलिकताल कायै। कपालमाला शशि शेखराय दिव्यांबरायै च दिंगबराय। नमः शिवायै च नमः शिवाय
जय जगतानन्दी, हो मैया जय जगतानन्दी, हो रेवा जय जगतानन्दी
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिवहरी शंकर, रूद्री पालंति।
हरि ॐ जय जगतानन्दी..
देवी नारद शारद, तुम वरदायक, अभनभ पदचण्डी.
हो मैया अभनभ पदचण्डी, हो रेवा अभनभ पदचण्डी.
सुरनर मुनिजन सेवत, सुरनर मुनिजन सेवत
शारद पदवन्ति, हरि ॐ जय जगतानन्दी..
देवी धूमक वाहन राजत वीणा वाजंती,
हो मैया वीणा वाजन्ती, हो रेवा वीणा वाजंती
झुमकत झुमकत झुमकत, झननन, झननन, झननन
रमती राजंति, हरि ॐ जय जगतानन्दी..
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मंडल रमती, हो मैया सुर मण्डल हो रेवा सुरमंडल रमती, तोड़ीताम् तोड़िताम् तोडिताम्
तुरड़ड़ तुरड़ड़ तुरडड रमती सुरवंति,
जय जगतानन्दी, हो मैया जय जगतानन्दी हो रेवा जय जगतानन्दी, ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिवहरि शंकर रूद्री पालंती। हरि ॐ जय जगतानन्दी........
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