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श्री छोटे दादाजी का चरित्र

श्री छोटे दादाजी उत्तराधिकारी के रूप में :-


       श्री केशवानंद जी महाराज उर्फ बड़े दादाजी के समाधिस्थ होने के बाद श्री हरिहर भोले भगवान उर्फ छोटे दादाजी ने उत्तराधिकारी के रूप में श्री दादाजी दरबार का कामकाज संभाला सन 1930 से 1942 तक 12 वर्ष उन्होंने श्रीदादाजी दरबार की कीर्ति पूरे भारतवर्ष में फैलाई।


श्री हरिहर भोले भगवान

        श्री दादाजी दरबार के सेवा के तौर तरीके बनाए गए।नियमावली बिंदुवार बनाई गई श्री छोटे दादाजी भी धूनी रमा कर घंटों बैठते थे। दीन दुखियों की पीड़ा हरते। उन्होंने ही स्नान अभिषेक, पूजन, आरती, नैवैद्य, अखंड धूनी, हवन और उससे जुड़ी तमाम सेवाओं को न केवल स्वयं बड़ी मर्यादा के साथ पालन किया बल्कि श्री दादाजी भक्तों को भी सिखाया। 
            

श्री धूनी मैैैया

       धूनी,कोठार,भंडार,कुएं का निर्माण श्री छोटे दादा जी के सानिध्य में ही हुआ श्री छोटे दादा जी ने ही धूनी श्रीदादाजी के समाधि के सामने बनवाई। श्री छोटे दादाजी ने ही सामने काल भैरव की चौकी स्थापित कर निशान लगवाया जो आज भी यथावत है। इसी तरह दोनों समाधियो के मध्य हनुमान जी की चौकी अर्थात धर्म ध्वजा की स्थापना की। ऐसे ही कोठार के पीछे हिंगलाज माता का निशान भी है। यह तीनों निशान श्री छोटे दादाजी की आज्ञा से ही स्थापित हुए।

               

मॉ नर्मदाजी
 
       आपकी आज्ञा से ही नर्मदा जी का मंदिर भी बनाया गया इससे पहले श्री नर्मदाजी की मूर्ति कोठार घर में रखी हुई थी।बताते हैं यह मूर्ति महादेव नामक एक श्री दादाजी के भक्तों को नर्मदा नदी के किनारे मिली थी। जिससे वे अपने साथ ले आए और लाकर श्री हरिहर जी भोले भगवान को अर्पण की। पूर्व में धूनी मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही थी जो आज भी है। श्री छोटे दादाजी ने बड़ी धूनी को ठंडा कर सन 1934 से 1935 में इसे  श्री बड़े दादाजी कि समाधि के सामने स्थापित किया। श्री बड़े दादाजी महाराज सभी के साथ डंडे से बात करते थे। और वही श्रीछोटे दादाजी महाराज सभी से प्रेम से वार्तालाप करते थे।            
        श्री छोटे दादाजी ने ही नागपुर में इक्का याने (24 घंटे का अखंड दादा नाम) के आयोजन की शुरुआत की थी। नागपुर के काटन मार्केट में सन 1934 में 3 दिन तक 51 बोरी शक्कर 51 बोरी नारियल सवा-सवा मन काजू किसमिस मेवे से हवन कर निशान स्थापित किया। इस स्थान के बारे में दादा जी ने कहा था कि यह स्थान खंडवा दरबार का प्रवेश द्वार है 
        यह स्थान आज भी पवित्रता के साथ अक्षुण्ण है तथा यहां इस स्थान पर नए भव्य दादाजी के मंदिर का निर्माण भी हो चुका है। यहां प्रति वर्ष 31 दिसंबर से 1 जनवरी तक 24 घंटे दादा नाम के इक्के का आयोजन नागपुर में होता है जिसमें भजन कीर्तन सेवा भंडारे का भव्य आयोजन रहता है।

          

श्री हरिहर भोलेे भगवान


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