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माँ नर्मदा महात्म्य

मां नर्मदा का महत्व संसार में सर्वोपरि है। कहते हे गंगा जी में स्नान से जमुना जी का दर्शन से और माँ नर्मदा का स्मरण मात्र से कलयुग मे मनुष्य भवसागर से पार हो जाता हैं।
     नर्मदा मैया कि परिक्रमा करने के लिये भक्त जन प्राचीन काल से टोलियों मे झुंडों मे तथा संत लोग जमात के रूप मे निरंतर परिक्रमा करते हैं।
      नर्मदा जी की परिक्रमा मां के उदगम स्थान अमरकंटक से शुरू होती है सुबह शाम नर्मदा मैया के तट पर भक्त लोग मैया की आरती पूजन करते हैं। रास्ते मे ही किसी कुटिया, वृक्ष के नीचे विश्राम करते हैं। अपना भोजन स्वतः बनाते हैं। हजामत बनाना बाल काटना मैया जी की परिक्रमा में पूर्णतः निषेध माना जाता है। रास्ते में मैया जी की परिक्रमा में जो भी नदियां मिलती है उनके भी उद्गम स्थान तक जाकर फिर दूसरे किनारे नाव से पहुंचकर फिर से प्रदक्षिणा शुरू होती है।
      इस तरह नर्मदा जी के समुद्र संगम से 15 मील पूर्व में विमलेश्वर नामक तीर्थ स्थान आता है। वहां से नर्मदा समुद्र संगम की परिक्रमा करके लोहारिया नामक स्थान पर नोका से उतरते हैं। रेवा सागर संगम तीर्थ विमलेश्वर से 13 मील आगे है उसके पास ही हरि का धाम नामक परम पवित्र स्थान हैं।परिक्रमा वासी अपना धर्म कर्म पूरा करके लोहारिया जो वहां से 1 मील आगे हैं। वहां जाकर वापस लौटते हैं और फिर से परिक्रमा प्रारंभ करते हैं।


     
Jai maa Narmade

माँ नर्मदा मैया


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