माता नर्मदा की परिक्रमा और उनके किनारे योगियों संतों महात्माओं का निवास प्राचीन काल से चला आ रहा है। मां नर्मदा के तट पर बसने वाले,नर्मदा परिक्रमा वासी,जमात के महान संत, हठयोगी, सिद्ध स्वामी श्री कमल भारती जी महाराज निवास करते थे। आपकी जमात में प्रमुख रुप से ब्रम्हचारी,वानप्रस्थी,साधु सन्यासी,शामिल थे। जमात के शिष्यों में से कुछ निरंतर नर्मदा प्रदक्षिणा करते रहते थे। बाकी आश्रम में रहकर मां नर्मदा जी की आरती पूजन हवन नेवैद्य के कार्यों में हाथ बटाते थे। आश्रम कि अपनी गौशाला वैदिककार्य कर्मकांड तथा धर्मोपदेश का प्रबंध था। जहां शिष्य धर्म शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करते थे। स्वामी श्री कमल भारती जी महाराज योग साधन में तथा धर्म शास्त्रों के प्रकांड विद्वान विद्वान थे। स्वामी जी ने श्री गौरी शंकर महाराज की अटूट भक्ति तथा साधना देखकर अपनी जमात का प्रमुख पद पर आसीन करा दिया।
श्री गौरीशंकर महाराज धर्म कर्म निष्ठ तथा चमत्कारी पुरुष थे। तथा जमात का साधु समाज उन्हें जमात वाले बाबा के नाम से जानता था। उनके नेतृत्व में नर्मदा प्रदक्षिणा का कार्य दिनों दिन प्रगति कर रहा था। श्री गौरीशंकर महाराज की जमात में साधु-संतों और भक्तों की संख्या लगभग 4 से 5000 थी। जिसमें ऊंट हाथी घोड़े और गाये भी शामिल थी।
अंग्रेजों के शासन काल का समय था। अंग्रेजों को शक हुआ कि यह साधु समाज के नाम पर गदर से भागे हुए लोग हैं। एक अंग्रेज अधिकारी सशस्त्र सिपाहियों के साथ जमात मे आ पहुँचा और उद्दंडता से बोला जमात का इतना सारा खर्च कहां से लाते हो। श्री गौरीशंकर महाराज ने कहा मां नर्मदा देती है। श्री गौरीशंकर महाराज अपने आसन से उठकर नर्मदा मैया की और चल पड़े। उनके पीछे पीछे वह अधिकारी तथा अन्य लोग भी चल दिये। श्री गौरीशंकर महाराज ने नर्मदा किनारे पहुच कर ॐ मात नर्मदे हर तीन बार बोल कर अपना सीधा हाथ मा नर्मदा में डालकर हाथ बाहर निकाल कर सोने की अशर्फियां दिखाई। यह देखकर वह अधिकारी बोला यहां तुमने पहले से छुपा रही रखी होगी।फिर तट से श्री गौरीशंकर महाराज एवं अंग्रेज अधिकारी एक नाव में बैठकर उस नाव को नर्मदा जी की मझधार में जहां उस अधिकारी ने कहा उस स्थान पर तीन बार ॐमात नर्मदे हर कहकर श्री गौरीशंकर महाराज ने नर्मदा में हाथ डालकर वहां से अशर्फियां निकाली। स्वामी जी का यह अद्भुत चमत्कार देखकर वह अंग्रेज अधिकारी कम्पित हो उठा। एवं महाराज के चरणों में माथा टेककर क्षमा मांगने लगा। तथा शर्मिंदा होकर सेना के सभी सिपाहियों सहित वहां से चला गया। अंग्रेज अधिकारी ने यह वृत्तांत लिखकर अपने अधिकारियों को भेजा उसके कुछ दिन उपरांत वह अधिकारी आया।तथा महाराज के चरणो में नतमस्तक होकर एक ताम्र पत्र भेंट किया। जिसमें लिखा था श्री स्वामी गौरी शंकर महाराज सिद्ध पुरुष है वह हिंदुओं के लाल पादरी है इन्हें कभी कोई ना छेड़े तथा जमात हिफाजत के लिए सरकारी इंतजाम किए जाए।
श्रीगौरीशंकर महाराज नित्य काली मिर्च और भभूति आने वाले बीमार व्यक्तियों को देते थे। कितना भी असाध्य रोग क्यों ना हो। वह इस उपचार से सुधर जाता था। मां नर्मदा श्री गौरीशंकर महाराज पर साक्षात प्रसन्न थी। वे महान सिद्ध तथा अलौकिक पुरुष थे। उन्होंने नर्मदा परिक्रमा सत्र को बहुत बढ़ाया। साधु समाज में भी उनके प्रति श्रद्धा एवं विश्वास था।
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